इंदौर .प्रशासन ने सहकारी संस्थाओंकाे लेकर गुरुवार काे खुली जनसुनवाई की। इसमें ग्रेटर ब्रजेश्वरी संस्थाके पीड़ितों ने संस्था के संचालक नितिन अग्रवाल पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए। कहा कम जमीन होने के बाद भी ज्यादा प्लॉट काट दिए। विकास शुल्क लिया, पर जमा नहीं किया। छह करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की। मृतकों के नाम फर्जी हस्ताक्षर कर नक्शे बदले।
कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने जनसुनवाई में ही अपना पक्ष रखने आए अग्रवाल को पकड़ने के आदेश दिए। अग्रवाल जैसे ही बाहर निकला, नायब तहसीलदार मनीष श्रीवास्तव ने उसे पुलिस को सौंप दिया। बाद में रावजी बाजार पुलिस ने अग्रवाल के खिलाफ शांति भंग की आशंका में इस्तागासा पेश किया। इस पर एसडीएम शाश्वत शर्मा ने 50 हजार रुपए के बाउंडओवर पर उसे छोड़ दिया। एसडीएम ने बताया कि अग्रवाल बाउंडओवर शर्तों का उल्लंघन करेंगा तो सीधे जेल जाएगा।
सभी संस्थाओं में सबसे बड़ी समस्या वरीयता सूची में हेरफेर की
कलेक्टर ने विकास अपार्टमेंट, कविता, ग्रेटर ब्रजेश्वरी, गीता नगर, श्रीराम कृपा संस्था के सदस्यों की शिकायत सुनी। सभी का आरोप था कि संस्था संचालकों ने मनमानी करते हुए वरीयता सूची में खेल किया। सहकारिता विभाग में जो भी नए अधिकारी आए, उन्होंने संस्था संचालकों के साथ मिलकर हर बार अपने हिसाब से वरीयता सूची तैयार कर दी। इसके चलते कई मामले ट्रिब्यूनल तो कई हाई कोर्ट चले गए। इसी विवाद के कारण सदस्यों को प्लॉट नहीं मिला।
इन संस्थाओं की शिकायतें... अपात्राें काे बनाया सदस्य, नक्शे में की गड़बड़
विकास अपार्टमेंट : वरीयता सूची गड़बड़ है। कई अपात्रों को सदस्य बना दिया है। विकास शुल्क 1988 में ही जमा कर दिया था। आईडीए से भी सूची लेना है। कुछ जमीन अन्य लोगों को लीज पर दे दी गई है। इसका केस हाई कोर्ट में है।
गीता नगर : 34 साल से सदस्यों के पास रजिस्ट्री नहीं है। नक्शा भी संशोधित होना है। आईडीए के साथ भी विवाद है।
ग्रेटर ब्रजेश्वरी : प्लॉट 108 हैं, लेकिन रजिस्ट्री ज्यादा हैं। नक्शे में खेल कर ज्यादा प्लॉट निकाल दिए। अवैध कॉलोनी को नियमित कराना है।
श्रीराम कृपा : वरीयता सूची में कई नाम हटा दिए। आईडीए को भी सदस्यों की सूची भेजी है। पात्र सूची आईडीए को भेजना है। अपात्रों को हटाना है। एरिया भी कम कर दिया है।
कविता : पार्श्वनाथ नगर स्कीम 114 में विवाद है। वरीयता सूची में गड़बड़ी की है। सहकारिता विभाग ने कई जगह अनियमितता की है। तीन एकड़ जमीन भी खरीदी थी, जिसका अता-पता नहीं है।