निर्भया केस / दोषी अक्षय और विनय की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में आज सुनवाई, 1 फरवरी को फांसी पर रोक की मांग

  • सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दोषी अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की, उसके पास दया याचिका का विकल्प

  • दोषी पवन के पास क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका के विकल्प, विनय ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी

  • दोषी मुकेश के लिए फांसी से बचने के सभी रास्ते बंद, 1 फरवरी सुबह 6 बजे तिहाड़ जेल में फांसी तय है

    नई दिल्ली.निर्भया केस के चार दोषियों में शामिल अक्षय ठाकुर और विनय शर्मा की याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई होनी है। गुरुवार को दोनों दोषियों के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से 1 फरवरी को फांसी पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके लिए दिल्ली प्रिजन मैनुअल का हवाला दिया गया है। वकील ने कोर्ट को बताया था कि अभी दोषियों के पास दया याचिका समेत कानूनी विकल्प हैं। ऐसे में डेथ वॉरंट के हिसाब से 1 फरवरी को फांसी नहीं हो सकती है। इस पर अदालत ने तिहाड़ प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। संभव है कि कोर्ट आज दोषियों का नया डेथ वॉरंट जारी कर दे।


    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन गुरुवार को खारिज कर दी थी। उसने जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच से फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल दिसंबर में उसकी रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी थी। विनय ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दया याचिका भेजी थी। उसकी क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका 17 जनवरी को खारिज कर दी थी। इस फैसले की न्यायिक समीक्षा को लेकर लगाई याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ठुकरा चुका है। अब मुकेश के पास फांसी से बचने का कोई रास्ता नहीं बचा है।


    चारों दोषियों की मौजूदा स्थिति



    • मुकेश सिंह के सभी विकल्प (क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका) खत्म हो चुके हैं।

    • दोषी पवन गुप्ता के पास अभी दोनों विकल्प क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका बचे हैं।

    • दोषी अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज, दया याचिका का विकल्प बचा है।

    • दोषी विनय शर्मा की क्यूरेटिव पिटीशन पहले ही खारिज हो चुकी है। उसने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी।


    किसी एक की याचिका लंबित रहने तक फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी


    जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है, तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में 1 फरवरी को फांसी फिर टल सकती है।


    दोषियों के खिलाफ लूट-अपहरण का भी केस
    फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का मामला। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।